## मिस्र में शिया इस्लाम का उदय और मुहम्मद मावलीद का विवाद ### विवाद का संक्षिप्त विवरण हाल के वर्षों में, मिस्र में शिया इस्लाम का उदय एक विवादास्पद मुद्दा बन गया है। इस्लामी बहुल देश में शिया अल्पसंख्यक होने के बावजूद, उन्होंने बढ़ती हुई दृश्यता और प्रभाव प्राप्त किया है, जिससे कुछ सुन्नी मुसलमानों में चिंता पैदा हो गई है। विवाद के केंद्र में मुहम्मद मावलीद का जश्न है, जो पैगंबर मुहम्मद के जन्म का वार्षिक उत्सव है। कुछ सुन्नी मुसलमानों का तर्क है कि यह उत्सव गैर-इस्लामी है और इसे मनाया नहीं जाना चाहिए, जबकि शिया इसे इस्लामी संस्कृति का एक अभिन्न अंग मानते हैं। ### शिया इस्लाम का उदय मिस्र में शिया इस्लाम का उदय कई कारकों को जिम्मेदार ठहराया गया है, जिनमें शामिल हैं: - **ईरान का प्रभाव:** ईरान के शिया नेतृत्व ने मिस्र में शियावाद के प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। ईरान ने मिस्र में मस्जिदों और सांस्कृतिक केंद्रों के निर्माण का समर्थन किया है और शिया धार्मिक नेताओं को प्रशिक्षित करने के लिए छात्रवृत्तियां प्रदान की हैं। - **आर्थिक हताशा:** गरीबी और आर्थिक अवसरों की कमी ने कुछ मिस्रवासियों को शियावाद की ओर आकर्षित किया है, जो अक्सर सामाजिक न्याय और आर्थिक समानता पर जोर देता है। - **सूचना का प्रसार:** इंटरनेट और सोशल मीडिया के विकास ने मिस्र के लोगों को शिया विचारों और मान्यताओं तक पहुंच प्रदान की है। ### सुन्नी-शिया तनाव शिया इस्लाम के उदय ने मिस्र में सुन्नी और शिया मुसलमानों के बीच तनाव पैदा कर दिया है। कुछ सुन्नी मिस्रवासियों का मानना है कि शिया ईरान के प्रभाव का उपकरण हैं और वे मिस्र की सुन्नी पहचान को कमजोर करने की कोशिश कर रहे हैं। तनाव 2013 में और बढ़ गया, जब मिस्र की सेना ने मुस्लिम ब्रदरहुड के शासन को उखाड़ फेंका, जिसे कई लोग शिया-समर्थित संगठन के रूप में देखते थे। राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सिसी ने शियावाद के प्रसार पर नकेल कसने के लिए कई उपाय किए हैं, जिनमें शिया समूहों पर प्रतिबंध और शिया मस्जिदों को बंद करना शामिल है। ### भविष्य का मार्ग मिस्र में शिया-सुन्नी तनाव आने वाले वर्षों में जारी रहने की संभावना है। मिस्र सरकार को शिया और सुन्नी समुदायों के बीच संतुलन बनाए रखने की चुनौती का सामना करना पड़ रहा है और धार्मिक हिंसा और संघर्ष को रोकने के लिए काम करना होगा। मис्र में शियावाद का भविष्य अनिश्चित बना हुआ है। हालांकि इसकी गति धीमी हो गई है, लेकिन यह संभावना है कि शियावाद मिस्र के धार्मिक परिदृश्य में एक निरंतर उपस्थिति बना रहेगा।
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